नई दिल्ली : राज्यसभा में सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को जमकर घेरा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में एक भावनात्मक कविता के ज़रिए घटना पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। खड़गे के इस बयान ने न केवल सदन को भावुक किया, बल्कि एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों पर सरकार की रणनीति, तैयारी और जवाबदेही कहाँ तक प्रभावी है।
मल्लिकार्जुन खड़गे का भावुक संबोधन:
“मेहंदी वाले हाथों ने पति की लाश उठाई है,
बेबस रोते बच्चों ने पापा की जान गंवाई है।
अश्रु भरे लाचार खड़ी बेबस नारी को देखा है,
पहलगाम घाटी में हमने अपनों को मरते देखा है !”
खड़गे के इस भावुक काव्यात्मक वक्तव्य के दौरान सदन में गंभीरता और मौन छा गया। उन्होंने आगे कहा कि सरकार हमलों की निंदा और शोक जताने से आगे बढ़े और सुरक्षा तंत्र की खामियों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए।
देश देख रहा है, कब तक आप मौन रहेंगे?
खड़गे ने सवाल किया कि क्या “न्यू इंडिया” में आम नागरिकों की सुरक्षा अब प्राथमिकता नहीं रही? उन्होंने कहा कि पहलगाम जैसे संवेदनशील इलाकों में अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा में चूक अक्षम्य है।
उन्होंने कहा कि यह केवल आँकड़ों का खेल नहीं है, यह इंसानी ज़िंदगियों का सवाल है, और देश की जनता जानना चाहती है कि कब तक मासूम लोग आतंकी हमलों के शिकार होते रहेंगे।