राजस्थान के झालावाड़ ज़िले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। शुक्रवार सुबह पिपलोदी के सरकारी स्कूल में क्लास की छत ढहने से 7 मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि 9 गंभीर रूप से घायल हैं। हादसे के समय क्लासरूम में लगभग 35 छात्र मौजूद थे। मृतकों में कक्षा 3 से 8 तक के बच्चे शामिल हैं।
हादसे से जुड़ा बड़ा खुलासा: बच्चों ने पहले ही चेताया था
इस दर्दनाक घटना से जुड़ी एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। स्कूल की छात्रा वर्षा राज क्रांति के मुताबिक “छत गिरने से पहले उसमें से कंकड़ और धूल गिर रहे थे। हमने टीचर्स को बताया लेकिन उन्होंने डांट कर बैठा दिया” यानी बच्चों ने खतरे का पूर्व संकेत दिया था, लेकिन शिक्षकों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और हादसा टल नहीं सका।
स्कूल की लापरवाही और प्रशासनिक चूक
1. जर्जर इमारत की चेतावनी नहीं थी
कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने खुद स्वीकार किया कि स्कूल को जर्जर भवनों की सूची में शामिल नहीं किया गया था। न ही यहाँ छुट्टियाँ घोषित की गई थीं, जबकि इलाके में लगातार बारिश हो रही थी।
2. 10 दिन की छुट्टी रद्द कर फिर खोला गया स्कूल
स्कूल के कुक श्रीलाल भील ने बताया कि कुछ दिन पहले स्कूल को 10 दिन के लिए बंद करने की बात हुई थी, लेकिन बिना तैयारी के फिर से खोल दिया गया।
3. टीचर हादसे के समय क्लास में नहीं थे
घटना के समय 2 शिक्षक स्कूल में उपस्थित थे, लेकिन छत गिरने के समय क्लासरूम से बाहर थे और सुरक्षित हैं।
कार्रवाई: 10 अधिकारी और शिक्षक सस्पेंड
शिक्षा विभाग ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका समेत 5 शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही 5 अन्य शिक्षा विभाग अधिकारी भी निलंबित किए गए हैं। मामले की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है। वहीं राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कहा: “अगर कोई ज़िम्मेदार है, तो वो मैं ही हूं।”
देशभर में शोक की लहर
इस हृदय विदारक हादसे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गहरा दुःख व्यक्त किया है।प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने पीड़ित परिवारों को सहायता राशि देने और घायलों के समुचित इलाज का निर्देश भी जारी किया है।
झालावाड़ पिपलोदी स्कूल हादसे में मृतकों और घायलों की सूची